नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को ही अखंड भारत को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था ...!




सन् 1947 में तो ब्रिटिश हुकूमत और कुछ स्वार्थी नेताओं की साज़िश से अखंड भारत हुआ था खंडित

सुलतानपुर। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च क्रांतिकारी नेता सुभाषचंद्र बोस ने 21अक्टूबर 1943 को ही अखंड भारत को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था और आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र अखंड भारत की अस्थायी सरकार बना ली थी 

जिसे जर्मनी, जापान, फ़िलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने अपनी मान्यता भी दे दी थी। इस सरकार की अपनी बैंक और मुद्रा भी थी। जापान ने अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह को इस अस्थायी सरकार को दे दिया था। सुभाषचंद्र बोस उन द्वीपों में गए और उनका नया नामकरण भी किया था। 



विदित हो कि 21 अक्टूबर 1943 की आज़ाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने लाल क़िला पर तिरंगा फहरा कर इस गौरवशाली दिन का स्मरण किया था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 23 जनवरी 2021 को उनकी 125वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार ने निर्णय लिया था कि इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इसी के साथ 8 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में राजपथ, जिसका नामकरण कर्तव्यपथ किया गया था उस पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विशालकाय प्रतिमा का अनावरण भी किया गया। 

भारत के‌ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन काल में ही नेता सुभाषचंद्र बोस को वह सच्चा सम्मान‌ मिला‌ जिसके वो हकदार थे। इसके पूर्व की सरकारें नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रस्त रहती थीं। मानव अधिकार संरक्षण संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समाजसेवी पत्रकार डी पी गुप्ता एडवोकेट ने भारत सरकार से मांग किया है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमयी मृत्यु संबंधित फाइलों को उजागर करे ताकि देश को उनकी रहस्यमयी मृत्यु और उस दौरान उनको किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा उससे देश की जनता अवगत हो सके।